टूर्नामेंट के मुख्य स्टेडियम को बनाने में 87% लकड़ी का इस्तेमाल होगा

टोक्यो में 2020 जुलाई-अगस्त में ओलिंपिक गेम्स होने हैं। इसके पहले टोक्यो में एयर पॉल्यूशन (कार्बन डाई ऑक्साइड) कम करने के लिए 29 हजार करोड़ रुपए इस साल खर्च किए जाएंगे। ओलिंपिक कमेटी ने इस बार 2016 ओलिंपिक से 16% कम पॉल्यूशन का लक्ष्य रखा है। इसके लिए गेम्स के मुख्य स्टेडियम को बनाने में 87 फीसदी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाएगा। रिसाइकल चीजें भी इस्तेमाल में लाई जाएंगी।

सात किलो CO2 कम करने पर एक येन मिलेंगे
यही नहीं, पुराने एसी, फ्रिज और वॉटर हीटर को हटाकर इसकी जगह कम प्रदूषण वाले सामान को इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। पूरे शहर में कई दुकानों पर ईको पॉइंट बनाए हैं। यहां लोग अपने पुराने सामान बदल सकते हैं। एक दुकानदार को सात किलो कार्बन डाई ऑक्साइड कम करने के एक पॉइंट यानी एक येन (.64 रुपए) और गिफ्ट वाउचर मिलेंगे। एक फ्रिज से औसतन एक महीने में 200 किग्रा कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) गैस निकलती है। टोक्यो अभी

रियल टाइम एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनहेल्दी ग्रुप में है।

30 लाख मीट्रिक टन CO2 का उत्सर्जन होगा
ओलिंपिक आयोजन समिति के मुताबिक, खेलों के दौरान टोक्यो में 30 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जित होगी। जबकि लंदन में 34.5 लाख मीट्रिक टन और रियो (2016) में 35.6 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जित हुई थी।

स्टेडियम के 60% वेन्यू रियूज्ड चीजों से बनेंगे, 11 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे
ओलिंपिक का मुख्य स्टेडियम नवंबर में तैयार हो जाएगा। इसके 60% वेन्यू रियूज्ड और रिसाइकल चीजों से बन रहे हैं। स्टेडियम की सभी लाइटें सोलर एनर्जी से चलेंगी। स्टेडियम को बनाने में 87% लकड़ी का प्रयोग होगा। स्टेडियम बनाने में 11 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी।

मेडल के लिए 80 हजार लोगों ने यूज्ड फोन दिए, 5000 मेडल दिए जाएंगे
ओलिंपिक में 5000 मेडल दिए जाएंगे। मेडल ई-वेस्ट से बने हैं। ई-वेस्ट स्मार्टफोन, डिजिटल कैमरा से लिया गया। लोगों ने 80 हजार यूज्ड मोबाइल फोन, स्मार्टफोन और टैबलेट दिए। पहली बार ड्राइवरलेस टैक्सी का इस्तेमाल होगा। पैसेंजर स्मार्टफोन्स से इसे ऑपरेट करेंगे।

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